ॐ स्थापकाय च धर्मस्य सर्वधर्मस्वरूपिणे। अवतारवरिष्ठाय रामकृष्णाय ते नमः॥ ॐ नमः श्री भगवते रामकृष्णाय नमो नमः॥ ॐ नमः श्री भगवते रामकृष्णाय नमो नमः॥ ॐ नमः श्री भगवते रामकृष्णाय नमो नमः॥

Saturday, April 4, 2020

ज्ञानयोग


 

ज्ञानयोग है ज्ञान के द्वारा ईश्वर के साथ युक्त होने का उपाय। ज्ञानयोग में ज्ञानी साधक ब्रह्म को जानना चाहता है। वह 'नेति' 'नेति' विचार करते हुए एक एक करके मिथ्या वस्तुओं का त्याग करता जाता है। जहाँ विचार समाप्त हो जाता है, वहाँ समाधि होती है, ब्रह्मज्ञान होता है। । चोर घर में घुसकर अँधेरे में वस्तुओं को टटोलता है। मेज पर हाथ रखा, 'यह नहीं कहकर छोड़ दिया। फिर शायद कुर्सी पर हाथ रखा, उसे भी 'यह नहीं' कहकर छोड़ दिया। इस तरह 'यह नहीं' 'यह नहीं' ('नेति' 'नेति') करते हुए एक के बाद एक वस्तुओं की छानबीन करते-करते अन्त में उसका हाथ तिजोरीवाली पेटी पर पड़ जाता है। तब वह 'यह है!' ('इति') कह उठता है, और वहीं उसकी खोज समाप्त हो जाती है। ब्रह्म का अनुसन्धान भी इसी प्रकार है। मैंने देखा है कि विचार के द्वारा जो ज्ञान होता है वह एक किस्म का है और ध्यान के द्वारा जो ज्ञान होता है वह और एक किस्म का; फिर उनके साक्षात्कार से जो होता है वह कुछ और ही है!                                                                - श्रीरामकृष्ण देव