ॐ स्थापकाय च धर्मस्य सर्वधर्मस्वरूपिणे। अवतारवरिष्ठाय रामकृष्णाय ते नमः॥ ॐ नमः श्री भगवते रामकृष्णाय नमो नमः॥ ॐ नमः श्री भगवते रामकृष्णाय नमो नमः॥ ॐ नमः श्री भगवते रामकृष्णाय नमो नमः॥

Thursday, April 2, 2020

श्री रामकृष्ण-आरात्रिकम्

श्री रामकृष्ण-आरात्रिकम्

खण्डन-भवबन्धन.जगवन्दन वन्दि तोमाय।

निरजन. नररूपधरनिर्गुण. गुणमय

मोचन-अघदूषणजगभूषणचिद्घनकाय ।

ज्ञानाजन-विमल-नयनवीक्षणे मोह जाय ।।

भास्वर भावसागर.चिर-उन्मद प्रेम-पाथार।

भक्तार्जन-युगलचरणतारण-भव-पार ।।

जृम्भित-युग-ईश्वरजगदीश्वरयोगसहाय ।

निरोधन समाहित मननिरखि तव कृपाय ।।

भजन-दुखगंजनकरुणाधनकर्मकठोर।

प्राणार्पण-जगततारण कृन्तन-कलिडोर ।।

वचन-कामकांचनअतिनिन्दित-इन्द्रिय-राग।

त्यागीश्वर हे नरवरदेहो पदे अनुराग।।

निर्भयगतसंशयदृढनिश्चय-मानसवान।

निष्कारण-भकतशरणत्यजि जाति-कुल-मान।।

सम्पद तव श्रीपदभव गोष्पद-वारि यथाय।

प्रेमार्पणसमदरशनजगजन-दुख जाय ।।

नमो-नमो प्रभु वाक्य-मनातीत मनोवचनकाधार।

ज्योतिर ज्योतिउजल हृदिकन्दर तुमि तमभंजनहार।।

धे  धे धे लंग रंग भंगबाजे अंग संग मृदंग।

गाइछे छन्द भकतवृन्दआरति तोमार।।

जय जय आरति तोमारहर हर आरति तोमार।

शिव शिव आरति तोमारजय श्री गुरुमहाराजजी की जय।।